जीवन का उद्देश्य क्या।

  जीवन का उद्देश्य क्या।


हर व्यक्ति चाहता है कि वह शांतिपूर्ण जीवन निर्वाह करे परन्तु जीवन की इस राह को ढूंढने में वह भटक जाता है और भौतिक सुख सुविधाओं और धन को आधार मान लेता है। वास्तव में मूल आवश्यकताओं जैसे भोजन,वस्त्र, भवन आदि जुटाने के बाद अन्य चीजें इच्छाओं की श्रेणी में आती है और यह कभी पूरी नही होती और व्यक्ति लोभी बन जाता है यहां तक कि मृत्यु के समय भी यह सोचता है कि क्या नहीं पाया । एक बार एक सेठ के चार पुत्र थे वह बहुत बीमार हुआ मृत्यु का समय निकट आया तो चारों पुत्र पास आ गए  सबको अपने पास देख कर उसने गुस्से में पूछा तुम सब यहां हो तो दुकान का क्या होगा।

अगर हम मूल आवश्यकतओं की पूर्ति के बाद थोड़ा बहुत धन उन लोगों के लिये खर्च करते हैं जो अपनी मूल आवश्यकता पूरी नहीं कर पाते तो समाज मे सदभावना बनी रहती है एकरसता आती है हम पुण्य अर्जित कर पाते है। इस संसार में अच्छाई और बुराई दोनो है और निरन्तर हमारे भीतर युद्ध चलती रहती है कई बार हम भटक जाते है। तुलना ,ईर्ष्या,अहंकार,प्रतिस्पर्धा से दूर रहने पर ही जीवन में शांति और आनंद की प्राप्ति हो सकती है । नर सेवा ही नारायण सेवा है।भगवान की भक्ति भी उसके बिना अधूरी है। वास्तव में सन्तुष्टता से  ही सुख शांति दोनो आ जाती हैं।

ओम शांति।

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