वाह जिंदगी वाह

  



वाह जिंदगी वाह


सुबह जल्दी उठो,मुस्कुराओ,नया दिन,भगवान का शुक्रिया करो,सैर पर निकलो। वाह प्रकृति बाहें पसारे हमारा स्वागत कर रही है।पंछी सब चहक रहे है। वाह भगवान ने हमें कितना अच्छा शरीर दिया और जिसे चलाने के लिए फल सब्जियां अनाज भी दिए।शरीर को उपयोग करते जाओ तो वह चलता है और अगर आलस्य हो तो वह खराब हो जाता है फिर उसे न अपने लिए उपयोग कर सकते न दूसरों के लिए। इसी तरह बुद्धि भी उपहार में दे दी उसे जैसे चाहे उपयोग करो सकारात्मक या नकारात्मक यह सब हमारे हाथ मे है। इतनी आसान जिंदगी को हमने ही इतना तो मुश्किल बना दिया। वाह वाह जैसी जिंदगी में हमने ही तो ईर्ष्या,द्वेष,प्रतिस्पर्धा भर दी और तनाव में आकर हाय हाय मचा दी।अपने जीवन को मुश्किल बना दिया। पढ़ाई के बोझ ने बच्चों के दिमाग को मकेनिकल  (mechanical) बना दिया,जैसे सब सोचते, वे भी वैसे ही सोचते,सकारात्मक तो जैसे सोचना ही भूल गए है। सारा बचपन और जवानी दाव पर लगा दी। डर जीवन का हिस्सा बन गया कि कुछ न बन पाए तो क्या होगा। हल्का रहना तो जैसे भूल गए। यह भूल गए कि हल्का रहकर,खुश रहकर लक्ष्य को पाना ज्यादा आसान है। इस अच्छी जिंदगी को किसने बोझ बनाया. इसके लिए  माता पिता और शिक्षक भी जिम्मेवर हैं। हमारा लक्ष्य होना चाहिए कि हम जीवन को खुशनुमा कैसे बनाएं।स्वस्थ तन और स्वस्थ मन ही लक्ष्य को पाने में सहायक हैं। हम सबको आज ज़रूरत है अपनी सोच बदल कर जिंदगी को वाह वाह बनाने की, सफलता पाना जीवन एक मात्र लक्षय नहीं, इसे सुकून से जीना, संतुलन से जीना ही हमारा पहला लक्षय है.

ओम शांति।

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